लगन के गीत

बाहार का बान


मैं तनै पूछूँ म्हारी लाडली, यो बाना किन नोन्तया
इसी ऐ षहर मै मेरी ताई जी बसत है
म्हारा बाना उन नोन्तया
मैं तनै पूछूँ म्हारी लाडली, थारै मुख पर मरवट किन चीत्या
इसी ऐ षहर मैं मेरी बुआ जी बसत है
म्हारे मुख पर मरवट उन चीत्या
मैं तनै पूछूँ म्हारी लाडली, क्या-क्या भोजन दिन्या
खीर-खांड का भोजन दिन्या, दूध कचैला प्याया
यो कुण बाना न्योन्दियो, घर किसया के जाय,
राम चन्द्र बाना न्योन्दियो, घर लक्ष्मण के जाय
म्हारे आगण अमला न्योन्दियो
ज्युं ज्युं खूंटी ये रसए भरी, म्हारै आगण अमला न्योन्दियो
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बाहार का बान 2
यो कुण बाना न्योन्दीयो, घर किसया के जाय,
राम चन्द्र बाना न्योन्दीयो, घर लक्ष्मण के जाय
म्हारे आगण अमला न्योन्दीयो
ज्युं ज्युं खुन्टी ये रसए भरी, म्हारै आगण अमला न्योन्दीयो
लाडो घर आई बान लेके
सुती हो तो उठ मेरी मायड, लाड्ला/लाड्डी घर आया,
बैठी हो तो उठ मेरी मायड, लाड्ला/लाड्डी घर आया,
आरता कर चाची लाडलड़ी घर आई
फेरो भारी चाक्की लाडलड़ी घर आई आरता कर.....
आरती कर भुवा लाडला बाहर खडा
तेरे मन का चिता हुआ लाडला बाहर खडा
आरता कर बहना लाडला बाहर खडा
तेरे हाथ भारी गहना लाडला बाहर खडा
आरता कर भाभी, लाडला बाहर खडा
तेरे हाथ स¨ने की झाबी, लाडला बाहर खडा
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