बांकलियां
दल लो दल लो ए चने की दाल गेहूँ की कर लो बाँकली जी महाराज।।
पिया हरे ए बाँस का झाबड़िया मँगाए, रेषम का डालो टाँकना जी महाराज।।
पिया नाई के को लेओ न बुलाए म्हारी घर-घर बाँटो बाँकली जी महाराज।।
नाई के बाँट आइयो सारा परिवार ननदी की छेको देहली जी महाराज।।
जजमान भूली आया सारा परिवार ननदी को दे आया बाँकली जी महाराज।।
पिया अन्न खाऊँ ना पीऊँ पानी मेरी उल्टी ला दो बाँकली जी महाराज।।
पिया चढ़ घोड़े असवार बहना के पहुँचे देहली जी महाराज।।
भैया कैसा तुम्हारा मैला भेस कैसे तो तुम अनमने जी महाराज।।
बहन गर्द उड़े है मैला भेस धूपों से हम अनमने जी महाराज।।
भैया राम रसोई तैयार भोजन तो जीमो आन के जी महाराज।।
बहना मुझे न भूख-पियास तेरी भाभी माँगे बाँकली जी महाराज।।
भैया होले-होले धीरे बतलाओ सुन लेंगी मेरी सास-ननद जी महाराज।।
भैया करिए भतीजे का दिसोटन तेरी उल्टी लाऊँ बाँकली जी महाराज।।
भैया चंदा-सूरज तेरे भानजे चबाए गए सारी बाँकली जी महाराज।।
सो राजा मेरे सोऊ थी सुख भर नींद सपने में देखी बाँकली जी महाराज।।
गोरी सोने का टोकना घड़ाओ मोतियन की डालो बाँकली जी महाराज।।
गोरी म्हारी दौर-जिठानी ले लो साथ भाभी के दे आओ बाँकली जी महाराज।।
पिया तुम भी चलो मेरे साथ, बाजे से ले जाऊँ बाँकली जी महाराज।।
भाभी मेरी ऊपर से नीचे उतरि आओ अपनी उल्टी ले लो बाँकली जी महाराज।।
भाभी मेरी ले आओ पीहर की परात डलवा लो अपनी बाँकली जी महाराज।।
सो ननदी मेरे पीहर से मिली ना परात देहलियाँ धर जाओ बाँकली जी महाराज।।
भाभी मेरी कर घुँघटे की ओट पल्ले में ले लो बाँकली जी महाराज।।
सो भाभी मेरी तेरा तो दो कोड़ी का नाज मोतियन की लाई बाँकली जी महाराज।।
भाभी मेरी जो मैं होती हीन पुरुश की नार तो कहाँ से लाती बाँकली जी महाराज।।
सो भाभी मेरी हम हैं सापुरुशां की घर नार मोतियन की लाए बाँकली जी महाराज।।
भाभी मेरी तुम हो ओछे घराँ की धीऐ उल्टी ले लई बाँकली जी महाराज।।
सो भाभी मेरी जुग-जुग जियो माई-बाप बड़े घर ब्याहे हम गऐ जी महाराज।।
गोरी मेरी जाऊँगा देष-विदेष, तेरे पै लाऊँगा दूसरी जी महाराज।।
सो राजा मेरे न जाइयो देष-विदेष, न लाइयो हम पै दूसरी जी महाराज।।
सो राजा मेरे और जनूँगी नन्दलाल बीबी के भेजूँ बाँकली जी महाराज।।
सो राजा मेरे सोऊँ थी चादर तान सुपणे में देखी बाँकली जी महाराज।।
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