बन्नी के मंगल गीत

बन्नी तथा मंगलगान सुहाग के गीत

बारात बागों में आ गई है। लोगों मे अफरा-तफरी मची है। सभी स्वागत सत्कार में इधर-उधर दौड़ रहे हैं। लेकिन जिस बन्नो के लिए यह सारा उत्सव मनाया जा रहा है उसे भी तो आखिर पता लगना ही चाहिए कि उसका वर कैसा है। बन्नो अपनी दादी की लाड़ली है इसलिए सबसे पहले उन्हीं से पूछती है।
बन्नी 1
लाडो पूछै दादी से ओ दादी
मै किस विद देखन जाऊँ रंगीले, आ ऊतरे बागां में
हाथ छबड़िया फूलो की हे लाडो
मालनिया बनकर जाओ, रंगीले आ उतरे बागां में
काची-काची कलियां तोडँू थी बांगा मै
मैे उलझ पड़ी घूँघट में मुखड़ा, देख गये बागां मे
बोल गये बतलाये गये बागां मैं
म्हारी सावै चढ़ी लाडो के नजर लगाये गये बागां मैं
हमारी तेल चढ़ी लाडो के नजर लगाये गये बागां मै
लाडो पूछै ताऊ से ओ ताऊ
मै किस विध देखन जाऊँ रंगीले आ उतरे बागां मैं
(चाचा, बाबुल, फूफा, मामा, भाई)
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बन्नी 2
दइया ओ दइया बन्नी के नजर लागी-2
मैं डिबिया काजल की लेकर भागी
शीश बन्नी के टीका सोहे, कान बन्नी के कुण्डल सोहे
दइया ओ दइया झुमके पे नजर लागी
मैं डिबिया .......
गले बन्नी के हरवा सोहे, हाथ बन्नी के कंगना सोहे
दइया ओ दइया चूड़ले पे नजर लागी
मैं डिबिया .......
कमर बन्नी के तगड़ी सोहे, पांव बन्नी के पायल सोहे
दइया ओ दइया गुच्छे पे नजर लागी
दइया ओ दइया बिछवे पे नजर लागी
मैं डिबिया.....
संग बन्नी के साड़ी सोहे, अंग बन्नी के लहँगा सोहै
दइया ओ दइया, चूंदड़ पे नजर लागी
मैं डिबिया....
अंग बन्नी के बन्ना सोहे
दइया ओ दइया जोड़ी पे नजर लागी
मैं डिबिया.....
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बन्नी 3
लाडो खैलै लोंग के बिड़ले तलै
बनो खेले लोंग के बिड़लै तलै
तेरे बाबा जी बुलाएँ, चलो लाडो महलों में
तेरे ताऊ जी बुलाएँ, चलो लाडो महलों में
तेरे उड़ते आवै गुलाल चलो बीबी महलों में
तेरे चसते आवै मिसाल चलो बीबी महलों में
लाडो खैलै लोंग के बिड़ले तलै
(चाचा, बाबुल, भाई, जीजा, फूफा, मामा)
बन्नी 4
झुमका गिरा रे, बन्नी का बीच बाजार में
बाबा ढूंढे़ अली-गली में, दादी बीच बाजार में
ताऊ ढूंढे़ अली-गली में, ताई बीच बाजार में
बन्नी ढूंढ़े री, दिया में बत्ती डाल के-2
झुमका गिरा रे, बन्नी का बीच बाजार में
पापा ढूंढे़ अली-गली में, मम्मी बीच बाजार में
चाचा ढूंढे़ अली-गली में, चाची बीच बाजार में
बन्नी ढूंढे़ री, दिया में बत्ती डाल के-2
मामा ढूंढे़ री अली-गली में, मामी बीच बाजार में
भाई ढूंढे़ अली-गली में, भाभी बीच बाजार में
बन्नी ढूंढे़ री दिया में बत्ती डाल के-2
झुमका गिरा रे, बन्नी का बीच बाजार में
(जीजा, फूफा)
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बन्नी 5
दिल लूटने वाली ओ बन्नी, अब मैंने तुझे पहचाना है
नजरों को उठाकर देख जरा, तेरे सामने ये दीवाना है
नजरों को उठाकर क्या देखूं, ससुराल सभी को जाना है,
दिल लूटने .........
मैं ऐसी चिड़िया बन जाऊँगी, किसी पेड़ पे छुप जाऊँगी,
मैं ऐसा शिकारी बन जाऊँगा, तुझे तीर मार ले जाऊँगा।
दिल लूटने .........
मैं ऐसी मछली बन जाऊँगी, किसी ताल में जा छुप जाऊँगी,
मैं ऐसा मछुआरा बन जाऊँगा, तुझे जाल बिछा ले जाऊँगा।
दिल लूटने .........
मैं ऐसी दुल्हन बन जाऊँगी, किसी कमरे में जाके छुप जाऊँगी,
मैं ऐसा दुल्हा बन जाऊँगा, तुझे फेरे करा ले जाऊँगा।
दिल लूटने .........
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बन्नी फेरे पे गाने वाला गीत 6
जरा सामने तो आओ बन्नी, शरमाने की क्या बात है,
जो दुनिया में रीत चली आ रही, वही होगा तुम्हारे साथ है।
दादा तुम्हें चाहे, दादी नहीं चाहे, ऐसा कभी नहीं हो सकता।
ताऊ तुम्हें चाहे, ताई नहीं चाहे, ऐसा कभी नहीं हो सकता।
बन्ना अपनी बन्नी से बिछुड़ के, सुख से कभी नहीं रह सकता।
जरा सामने तो आओ बन्नी ......................
(बापू-अम्मा, चाचा-चाची, फुफा-बुआ, भाई-भाभी, नाना-नानी, मामा-मामी)
बन्नी 7
आज छूटा घर बाबुल का, मुझे अफसोस भारी है,
पिता जी मैं बिछुड़ती हूँ, नमस्ते मेरी ले लेना,
कभी भइया की शादी में, याद हमें भी कर लेना।
छूटा घर बाबुल .........
भइया जी मैं बिछुड़ती हूँ, नमस्ते मेरी ले लेना,
कभी रखड़ी के बन्धन पर, याद हमें भी कर लेना।
छूटा घर बाबुल .........
भाभी जी मैं बिछुड़ती हूँ, नमस्ते मेरी ले लेना,
कभी सतियों के मौके पर, याद कर हमें बुला लेना।
छूटा घर बाबुल .........
सखियो मैं बिछुड़ती हूँ, नमस्ते मेरी ले लेना,
कभी गणगौर के मेले में याद कर मुझे बुला लेना।
छूटा घर बाबुल .........
बन्नी 8
चुप-चुप खड़े हो जरूर कोई बात है,
आज हरियाली बन्नी काहे को उदास है
दादाजी की बातों पर गुस्सा हमको आता है,
ताऊजी की बातों पर गुस्सा हमको आता है,
काला-काला बन्ना हमारे लिए ढूंढ़ा है।
फोटो मंगा दूं, वो तो चाँद जैसा है,
डिगरी मंगा दूं, वो तो एम.ए. पास है।
चुप-चुप खड़े हो जरूर कोई बात है।
(जामीजी, चाचाजी, फुफाजी, भाईजी, मौसाजी, मामाजी)
बन्नी 9
मोटर मंगाई जाए या कार मंगाई जाए
बोल बन्नी बोल क्या इन्तजाम किया जाए
माला डाली जाए या फेरे डाले जाए
बोल बन्नी बोल क्या इन्तजाम किया जाए
बाबाजी आ रहे तेरी षादी में, दादी जी आ रही है मेहरबानी
ताऊ जी आ रहे, पापा जी आ रहे
बनी तू है मगन तू है मगन बना की याद में
बन्नी 10
गरम जलेबी लच्छेदार, बन्नी मेरी खाती डोलै,
दादाजी की बैठक ऊपर, बन्नी मेरी खाती डोलै,
ताऊजी की बैठक ऊपर, बन्नी मेरी खाती डोलै,
दादी का नखरा जालिम-जोर, बन्नी मेरी सहती डोलै,
ताई का नखरा जालिम-जोर, बन्नी मेरी सहती डोलै,
गरम जलेबी............
(बापूजी-अम्मा, चाचाजी-चाची, फूफाजी-बुआ, भाईजी-भाभी, नानाजी-नानी, मामाजी-मामी)
बन्नी 11
मेरी हरी हरी चूड़ियों से बाँहें भरी,
दादी देओ ना सुहाग लाडो कब की खड़ी
ताई देओ ना सुहाग लाडो कब की खड़ी
ऐ सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी
तेरे माथे में सिन्दूर मांग मोतियां जड़ी
ए सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बन्नी
मेरी हरी-हरी चूड़ियों से बाँहें भरी
अम्मा देओ ना सुहाग, चाची देओ ना सुहाग
ऐ सुहाग देगा राम जोड़ी हद की बनी
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बन्नी 12
चलो बन्नी, चलो बन्नी घूमने चलें, ठंडी-ठंडी हवा में विक्टोरिया चलें।
कैसे चलूं, कैसे चलूं दादाजी खड़े, दादाजी खड़े मोहे सरम लगे।
छोड़ो बन्नी छोड़ो बन्नी, सरम को छोड़ो,
माॅर्डन जमाना जरा फैशन में चलो।
चलो बन्नी..............
(जामीजी, चाचाजी, फूफाजी, भाईजी, मौसाजी, मामाजी)
बन्नी 13
फूलों सी बन्नी मेरी, बन्ना भी कुछ कम नहीं..
रंग तेरा देख के, रूप तेरा देख के, फूला सब परिवार है,
शीश बन्नी के शीशफूल सोहे, टीके की देखो अजब शान है।
कान बन्नी के कुंडल सोहे, झुमके की देखो अजब शान है।
बैण्ड बजाएँगे, धूम मचाएँगे, बारात सजेगी।
लम्बी हो तेरी उमर हम सबका अरमान है।
फूलों सी बन्नी.....