गीत बान तेल चढाने का
यो रह यों तेरा पंडित चढ़ावै तेल
इनके हाथ मैं मुन्दड़ा साहेब कै हद बणा जी
थे जुग जीवो म्हारा पंडित लकेसरी जी,
यो रह यो आंगण तेरा जामी चढ़ावै
इनके हाथ मैं मन्दड़ा साहेब के हद बणा जी
थे जुग जीवो मेरा जामी लकेसरी जी
यो रहयो आँगण तेरी अम्मा चढ़ावै
इनके हाथां मैं चुड़ला सुहागण सज रहया जी
इन हाथां मैं मेहँदी सुहागन रच रही जी,
इनके नैणां मैं सुरमा सुहागन घुल रहया जी
थे जुग जीवो मेरा जामी लकेसरी जी ।
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