लगन के गीत

बान के गीत

सात सुहागन मिलकर सजनी
बन्नी को बान चढ़ाओ री सखी मंगल गाओ ।।
दूध-दही में उबटन घोलो
बन्नी के अंग लगाओ री सखी ।। मंगल गाओ
हरी-हरी दूब, लिये हरियाली
बन्नी को तेल चढ़ाओ री सखी ।। मंगल गाओ
हरी-हरी चूड़ी मेंहदी रोली
लाड़ो को खूब सजाओ री सखी ।। मंगल गाओ
गीत बान तेल चढाने का
यो रह यों तेरा पंडित चढ़ावै तेल
इनके हाथ मैं मुन्दड़ा साहेब कै हद बणा जी
थे जुग जीवो म्हारा पंडित लकेसरी जी,
यो रह यो आंगण तेरा जामी चढ़ावै
इनके हाथ मैं मन्दड़ा साहेब के हद बणा जी
थे जुग जीवो मेरा जामी लकेसरी जी
यो रहयो आँगण तेरी अम्मा चढ़ावै
इनके हाथां मैं चुड़ला सुहागण सज रहया जी
इन हाथां मैं मेहँदी सुहागन रच रही जी,
इनके नैणां मैं सुरमा सुहागन घुल रहया जी
थे जुग जीवो मेरा जामी लकेसरी जी ।
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गीत तेल चढ़ाने का
दे आंगुल ऐ तेरी अम्मी भी दे
ये सदा ए सुहागन अम्मा आपणी है
इनके हाथां तो मंहन्दा सुहागन रैच रहया
माँग भरी जग मोतियाँ की
तेल चढ़ाने का गीत
ला रे तेली ला, म्हारे रायचमेली का तेल ला।
म्हारे दादाजी तेल चढ़ाइयाँ, म्हारी दादी मसल नुहाइयाँ।
ताऊ जी तेल चढ़ाइयाँ, म्हारी ताई मसल नुहाइयाँ।
इनके हाथां तो मेहँदा सुहागन रैच रहया।
माँग भरी जग मोतियाँ की।।
बान का गीत
वाह-वाह कचैला धनिया का, वाह-वाह सुन्दर की बहू बनिये की
मैं तो सुन आई तख्त बाजार कुनसै बनिये की
वाह-वाह कै दिल्ली वाले बनिये की
वाह-वाह कचैला रायेब का, वहा-वाह कै सारी छोरी साहिब की
मैं तो सुन आई तख्त बाजार कुनसै साहिब की
वाह-वाह कै हिसार वाले साहिब की
वाह-वाह कतरनी कतैरा की, वाह-वाह कै सारी छोरी चतैरा की।