लगन के गीत

आरता

ऐ थाम ल्याओ नी हल्दी की गाँठ, गोरा मुखड़ा चीतीयां जी
ऐ थाम लावो ना जीरी के चावल, गोरा मुखड़ा चातियां जी
ऐ थाम ल्याओ नी पलटै की स्याई, नैना सुरमा सारीयां जी
ऐ थाम ल्याओ नी रामचन्द्र के पूत, गोरा मुखडा चीतीयां जी
गीत मरमठ का
मैं तुझे पूछंू म्हारा लाडला थारे मुख पर मरवट कुण चित्या ।
म्हारे ए शहर में भुवा ऐ बसत म्हारे मुख पर मरवट उन चित्या
मै तुझे पूछंू मेरा लाडला, थारा नैणां सुरमा किन सारा
म्हारा ए बीरा के म्हारी भाभी ओ रानी म्हारा नैणां सुरमा उनसारा
मै तुझे पूछूं म्हारा लाडला, थारा हाथा महँदा कुण राच्या
म्हारे घर में म्हारी चाची ओ रानी, म्हारा हाथ महँदा उन राच्या
कंगना
कंगनवा रस बरसे, मेरी लाडो का अचल सुहाग। कंगनवा रस बरसे ।।
मन के बंध कंगन के फंदे, सखी बन्दी बन गया प्यार ।। कंगनवा--
ज्यांे-ज्यों गाँठ खुले कंगने की, त्यों-त्यों गाँठ कसे प्रिय मन की
खुलें प्यार के द्वार ।। कंगनवा रस--
बन्नी लाड़ली है सुकुमारी, रसिया बड़े गँवार ।। कंगनवा रस बरसे