लड़के का गीत
हल खल हल खल नदी ए बहवै, म्हारा बुगली मल मल नहावै जी,
बुगली गोद पसारयो रायजादी, गैर बखत मत नहावो जी,
गैर बखत बल सियो ए पड़त है, दो फौरे बल नहावो जी,
दोफारै बल घूप पडत है, साँझ पड़ै बल नहावो जी,
कोन्या जीरी रतन कचोली, कोन्या जीरा मोतीड़ा रो हारो जी,
समधी जीरी रतन कचैली, बाबुल जीरो मोतिड़ा रो हारो जी
दिन्या है म्हे मोतिड़ा रो हारो, लीन्ही है म्हे रतन कचैड़ी जी
हार सोवै म्हारै हिवड़े गै ऊपर, मोतिड़ा तपे ए लीलारी जी
आँगनियाँ फिरैगी म्हारी रतन कचैली, निरखै म्हारा मोतिड़ा रो हारो जी,
भात परोसे म्हारी रतन कचैली, जीमे म्हारी मोतिड़ा रो हारो जी
सेज बिछावै म्हारी रतन कचैली, पौडे म्हारा मोतीड़ा रो हारा जी
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