लगन के गीत

सान्जी


चालो सांझी, ऐ श्री राम घर चालां, जिस घर सिसट उपाइयां
चालो सांझी, ऐ सुसरा जी घर चालां, बड़ा ऐ बडे़रा मनाइयो
चालो सांझी, ऐ जेठ जी घर चालां, जिस घर बिरद उपाईयां
चालो सांझी, ऐ बेटा घर चालां, जिस घर नार सुलाखणी
एक नार सुलाखणी बोल मीठा भी बोलै, हँस हँस घालै राणी बैठना,
चालो सांझी, ऐ पोता घर चालां, वो सोने का सेवरा वो बाबै के लाड़ला,
चालो सांझी, ऐ कृश्ण घर चालां, टाबर झूलै, सहियो पालना।
सान्जी का दिवा
कै मण गाल्या लोहा, कै मण गाल्या कोयला जी,
म्हारै ऊँची डांडी का दिवला जी,
नो मण गाल्या लोहा, दस मण गाल्या कोयला जी
म्हारी सरस डांडी का दिवला जी
भर चाँसू रे भर चाॅसू रे, म्हारे राजेष की धमषाला रे
छोटे अमीत के घर चानणा जी
इस चाँनाश बाई नीरू आवै जावै रै,
नाचण का आनन्द कुमार पावना जी, भर चाँसु रे भर चाँसु रे