सीठने

सीठने

सीठने की विद्या एक विशेष विद्या है जिसमें कन्यापक्ष वर पक्ष की ही महिलाएं आये हुए मेहमानों समधी, समधिन या फिर जमाई राजा की बड़ी ही आत्मीयता से खिंचाई करती हैं। यह खिंचाई शब्दों में मधुर किन्तु अर्थ में बड़ी तीखी होती है। जिन महिलाओं को यह कला आती है वे अपनी सपाट बयानी और साफ लहजे के कारण विवाह उत्सव में एक विशेष स्थान बना लेती हैं।
सीठने के कुछ मधुर उदाहरण इस प्रकार हैं:
सिठना-1
समधन क्या झलक दिखला के गयी,
जी भरके नजारा हो न सका
समधी जी तरसते रह ही गये दीदार दुबारा हो न सका
समधन जी जितनी छुपती गयी
समधी से मोहब्बत बढ़ती गई, हाय क्या कहा
समधिन तो किनारा कर गयी, समधी से किनारा हो न सका
रख हाथ जिगर पर समधि कहें भूले से मोहब्बत कर बैठे
है षेख बहुत माषूक मेरी,हाय आज नजारा हो न सका
समधिन देख रही साहिल पे खड़ी
समधी डुबे इष्क समुंदर में अरे
समधिन भी थी, उनका हुस्न भी था,
समधी का सहारा न हो सका
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सिठना-2
दुनिया से न्यारी बनी तेरी ससुराल है
घर में आटा है, घी है न दाल है, दुनिया...
तेरी दादस बड़ी छबीली, राम राम गुण गाये, उई माँ राम राम गुण गाये,
दिल्ली से वो शादी करने देवलगांव में है आये,
देखो कैसा ये कमाल है दुनिया से...
तेरी सासु बड़ी छबीली, इतउत नैन लड़ाये, उई माँ, इतउत नैन लड़ाये,
तेरा सुसरा बड़ा रंगीला, पान चाब इठलाये, उई माँ, पान....
तेरी जिठानी बड़ी छबीली, कर सिंगार इठलाये, उई माँ, कर....
तेरा जेठ है बड़ा रंगीला, तिरछे नैन लड़ाये, उई माँ तिरछे....
तेरी ननदिया बड़ी छबीली, सब पर हुकुम चलाये, उई माँ, सब पर...
तेरा ननदोई बड़ा रंगीला, मन ही मन मुस्काये, उई माँ, मन
दुनिया से न्यारी बनी तेरी ससुराल है
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समधन-3
म्हे तो झुमा और गावां हरख मोद मनावा।
आज समधन पधारीजी, आंगन म्हारे समधन पधारी जी। म्हे....
कर सोलह श्रृंगार समधन नार नवेली लागै
शमा उमर स फिकी पड़ै-2, म्हार समधीजी की सागै। म्हे....
देख जब समधन न समधीजी सुध बुध सारी त्यागी
नखराली मतवाली समधन लागै एक पहेली
बोल्या समधीजी, जीवन भर जाणै किसी विधि झेली। म्हे....
म्हे बोल्या समधन पाकर म्हारो जीयो हरषायो
समधी बोल्या जो पावे, वो जीवन भर पछतावे। म्हे....
समधि के बनडे़ न फेरा रात न म्हें दिवासा
समधन धीर सूं बोली, पण आपा कैय्या जासा। म्हे....
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सीठने समधन-4
अरे चने वाले रे गलियों में तूने षोर किया
समधन मेरी बड़ी चटोरी, भर भर दोने खाती है
चाट पत्ता फेंक दिया रे, पल्ले से मुंह पोंछ लिया।।
समधन मेरी बड़ी हठीली, लाल मिर्च डलवाती है।
मुखड़ा सारा लाल हुआ रे, सी-सी का षोर मचाती है।। अरे चने वाले.
सीठने समधन-5
आज मेरी समधन बिके है कोई ले लो ।
अठन्नी नहीं है चवन्नी में लो,
अगर जेब खाली बिना दाम ले लो ।
जब मेरी समधन थी नई नवेली,
तब तो अषर्फी में तोली गई थी ।
गालों की सुर्खी, ये आँखो की मस्ती,
ये लाखों की बोलियाँ बोली गई थीं। आज....
जाओ जी तुमसे ना सौदा करेंगे ।
अगर ऐेसे तोहफे को ठुकरा चलोगे,
जिगर थाम लोगे सदा गम करोगे ।
ये नीलम सी आँखें, ये गालों की लाली,
ये हर मनचले के दिलों की कयामत,
अषरर्फी नहीं है तो रुपये में ले लो ।
रुपया नहीं है तो बिना दाम ले लो ।। आज
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सीठने समधन-6
समधी जी की जोरू का घाघरा
धोबी धोवे रे छिनाल, हाय दैया
खड़ी रोये रे छिनाल, हाय दैया
आगे से मिल गए सीताराम रसिया
क्यूं रोये मेरी जान हाय दैया
लंहगा सिला दू रेषमी, दर्जी तेरा यार, हाय दैया
नाड़ा मंगा दूं रेषमी, पटवा तेरा यार, हाय दैया
पायल घड़ा दूं बाजनी, सुनार तेरा यार, हाय दैया
सीठने समधी-समधन-7
आओ लोगो तुम्हें सुनायें हाल इस परिवार का
गोरे-काले लम्बे-छोटे सब है इस परिवार में किस्सा शुरू हुआ-
(विनोद) वाली सगी दिन भर मन्दिर जाती है
उनको घर से नहीं है मतलब दिन भर सत्संग करती है।
(राधेश्याम) वाली सगी दिन भर हँसती रहती है
इसीलिये वो सबसे मोटी सबसे लम्बी लगती है।
(केडिया) वाली सगी सबको सजाती रहती है
वो तो अपने घर को ब्यूटी पाॅर्लर बना के रखती है।
(जगदीश) वाली सभी गीतों पर नजर रखती है
नया कोई गीत सुने तो काॅपी जल्दी करती है।
(राजेन्द्र) सगी बीबी को निहारते रहते हैं
वो तो अपनी घर वाली को आशा पारिख समझते हैं।
(सीता राम) वाली सगी बहुत मिलनसार है
कोई भी उनको मिल जाये अपना हाल सुनाती है।
(मनोज) वाली सगी अपने में ही रहती है
खुद को ही जणाती रहती बेटी को पास रखती है।
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सीठने समधी-8
समधी मेरे छोटे से नारे से
हल्की सी आई मुझे लाज, समधी मेरे छोटे से
मैं तो गई पनवाड़ी की दुकान पै
एैसे मचले, वैसे मचले, पान दिला दे मेरी जान,
समधी मेरे छोटे से.......
मैं तो गई हलवाई की दुकान पै
ऐसे मचले, वैसे मचले, जलेबी दिला दे मेरी जान,
समधी मेरे छोटे से.......
मैं तो गई, सुनार की दुकान पै
ऐसे मचले वही फिसले, झूंजनू दिला दे मेरी जान
समधी मेरे छोटे से.......
हल्की सी आई मुझे लाज, समधी मेरे छोटे से.......
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सीठने समधी-9
रुपिया तो ले संगी बाजारों में चाली,
रुपिया में तीन सौदा कर आई, देखो सगीजी की चतुराई।
आपनाने मेक्सी टाबरा ने सूट-बूट,
सग्गाजी ने दो झबलो सिलाय लाई, देखो सग्गीजी की चतुराई।।
रुपिये तो ले सग्गी होटलां में चाली,
रुपिया में तीन सौदा कर लाई, देखो सग्गीजी की चतुराई।।
रुपियो तो ले सग्गी नाईड़ा रे चाली,
नाई सु बाल कटाय लाई, देखो सग्गीजी की चतुराई,
आपने तो हाफकट, टाबरां ने बापकट,
सग्गीजी की मुछ मुंडाय लाई, देखो सग्गी जी की चतुराई।।
रुपियो तो ले सग्गी आईसक्रीम पार्लर चाली,
रुपियो में तीन सौदा करलायी देखा...
आपणां ने कोण में, टाबरां ने कप में,
सग्गाजी ने 2 चम्मच चटाय लाई, देखो सग्गाजी की चतुराई।।
रुपियो तो ले सग्गी पनवाड़ी रे चाली,
रुपिया में तीन सौदा करलायी, देखो...
आपने बिड़ला, टाबरां ने गुटखो,
सग्गाजी ने चुनो लगाय लाई, देखो सग्गीजी की चतुराई।।
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समधी
सग्गा जी तो बैठे-बैठे मँूछो पे ताव लगाते हैं,
उनकी मैडम ऐसी जो बाॅयकट बाल कराती है।
सुबह-सुबह उठकर सगा जी चाय भी बनाते हैं,
चाय वो बनाकर अपनी मैडम को जगाते हैं।
ऐसे वो ना जागे तो गीत वो सुनाते हैं,
जागो राधा प्यारी, जागो...
झुमके की फरमाईश पर बरेली वो जाते हैं,
कुदरत का करिश्मा देखो झुमका गिर जाता है,
सगीजी का उदास चेहरा रो-रो कर गाता है।
झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में,
झुमका गिरा रे हम दोनो के इस प्यार में...
सगी जी हसीन गुड़िया, धीमी-धामी चाल है,
सगा जी के सर पे सफेद बाल है।
टूटी-फूटी बोली बोले, टूटे सारे दाँत हैं,
सगी का उदास चेहरा रो-रो कर गाता है।
मैं का करूँ राम, मुझे बुढ्ढा मिल गया....
फिरकी की फरमाईश पर फिरकी वो लाते हैं,
फिरकी वो लाकर अपनी मैडम को दिखाते हैं।
सगी पीहर जाती है तो गीत वो सुनाते है,
प्यारी बीवी, तू पीहर जाना, पीहर से मत आना,
के अपनी टेढ़ी चाल से, मैं शादी करूँगा मेम साहब से।
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