बारात चढ़ने के गीत
गीत घोड़ी पर चढ़ने का
नौ-दस मास रे बेटा, गर्भ में राख्या, मायड़ का नीरणा ले चला
अपनी मामड़ नै मैं, बांदी भी ल्या दूं, बड़े साजन की धीवड़ी
तेरै तो होणै में रे भतिजा, सतिये धरे थे, बुआ का नीरणा ले चला
अपनी बुआ नै मैं तीवल चीतवा दूं, एक सुती एक रेशमी
तैं तो रे बीरा, गोद खिलाया, बहना का नीरणा ले चला
अपनी बहना नै मै हार घड़ा दूं, तीवल चीता दूँ रेषमी
काना म¨ती हद बणे लाड़ला, खूब लपेटा जी सुत,
धन तेरी माँ की क¨ख नै, जिन चंचल जनमा जी पूत,
ये आज दिन नित नया जी राज।
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