श्लोक छन्द
1. छन्द पकाऊँ, छन्द पकाऊँ छन्द के ऊपर बरफी।
दूजा छन्द जब कहूं, जब सलहज दे अशरफी।।
2. छन्न पकाई छन्न पकाई, छन्न पके का खुरमा।
आपकी बेटी को ऐसे रक्खूं, जैसे आँख का सुरमा।।
3. छन्न पकाई छन्न पकाई, छन्न पके की डाली।
सासू जी, प्यारी लागे हमको छोटी साली।।
4. छन्न पकाई छन्न पकाई, छन्न पके की हल्दी।
फेरे तो अब हो चुके, विदा कीजिये जल्दी।।
5. छन्न पकाई छन्न पकाई, छन्न पके का लोटा।
ऐसों के हम ब्याने आए, जहाँ पानी का भी टोटा।
6. छन्न पकाई छन्न पकाई, छन्न पके की सेम।
ससुर हमारे लाट साहब, सास हमारी मेम।।
7. छन्नी छन्नी में कंकर।
सासु मेरी पार्वती, ससुरा मेरा षिव षंकर ।।
8. छन्नी छन्नी में जीरा, थारै घरा जवाॅई आया हीरा।
छन्नी छन्नी में कातर, म्हे ब्यान आये इस बुलबुल की खातिर।।
9. थाली में थाली, थाली में लोटा।
फरीदाबाद से ब्यान आया सीताराम जी का बेटा।।
10. छन्न पकाऊँ छन्न के ऊपर मोर।
हम अपने देष के बादषाह, तुम अपने देष के चोर।।
11. छन्न पकाऊँ छन्न पकाऊँ छन्न का मैं हूँ आदी।
अगला छन्द जब सुनाऊँ जब गोद में बैठाये दादी।।
12. ढ़ोल बजे मृदंग बजे और बजे षहनाई।
उठो सास जी तिलक करो जल्दी करो विदाई।।
13. छन्न पकाऊँ छन्न पकाऊँ छन्न के ऊपर किनकी।
हम अपनी को ले चले, तुम काहे को ठिनकी।।
14. रिमझिम रिमझिम मेघा बरसे, सड़क में जम गई काई।
सासु जी जल्दी बिदाई करो, बेटी हुई पराई।।
15. छन्नी में छन्नी, छन्नी में पान।
सासु जी को जवाँई का प्रणाम।।
16. गमले में गमला उस में पेड़ की डाली।
वो लड़का ही क्या, जिसकी नहीं कोई साली।।
17. लोटे पे लोटा, लोटे पे जल।
(शहर) को छोड़कर (शहर) को चल।।
18. छंद पकिया, छंद पकिया छंद के ऊपर प्याली।
जीजा वो करे जो कहे उनकी साली।।
19. छंद पकिया, छंद पकिया छंद के ऊपर नीका।
हम चाहते हैं आपके साथ सदा खुश रहे हमारी भूमिका।।
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