दिल्ली, फरीदाबाद के गीत

होली के गीत

होली
मन के हर्षोल्लास को अभिव्यक्त करने वाले त्यौहारों में होली का अपना ही स्थान है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाला एक त्यौहार आपसी प्रेम और सद्भाव को बढ़ाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह त्यौहार रंगों और गुलाल आदि से खेला जाता है। खुशी के इस वातावरण में लोग साल भर की कटुता और वैमनस्य को भूलकर प्रेम में डूब जाते हैं।
होली का गीत
होली आई रे कन्हाई ब्रज के रसिया, होली आई रे।
बाट तकें सब सखा तुम्हारे,
बाहर आओ मोहन प्यारे,
डफ बजने दो रंग उड़ने दो,
अब क्यों देर लगाई रसिया।। होली आई रे....
कलश मंगाय के केसर घोलो,
श्याम हमें आज रंग में बोरो
होली आ गई ओ मन बसिया,
रंग अबीर उड़ाओ रसिया।। होली आई रे.....
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होली का गीत
मैं कैसे होली खेलू री साँवरिया के संग।
कोरे कोरे कलश भराए उनमें घोला रंग।। मैं कैसे.....
भर पिचकारी सम्मुख मारी चुनरी हुई सुरंग
घर-घर से ब्रज वनिता निकली लिये केसरी रंग। मैं कैसे.....
एक सखी उनमे से बोली मलो श्याम के अंग। मैं कैसे.....
ताल बजे तम्बूरा बाजे और बाजे मृदंग।
कान्हा जी की बंसी बाजे राधा जी के संग। मैं कैसे....
होली का गीत
होली खेल रहे शिव शंकर गौरा पार्वती के संग
गौरा पार्वती के संग माता पार्वती के संग। होली....
कुटी छोड़ शिव शंकर चल दिए लियो नादिया संग
गले में रुण्डों की माला, सर्प लिपट रहे अंग। होली....
मनियों खा गये आक धतूरा धड़ियों पी गये भंग
एक सेर गांजे को पीकर हुए नशे में दंग। होली....
कामिनी होली खेल रही है देवर जेठ के संग
रघुवर होली खेल रहे है सीता जी के संग। होली.....
राजा इन्द्र ने होली खेली इन्द्राणी के संग
राधे होली खेल रही है श्री कृष्ण के संग। होली.....
विष्णु होली खेल रहे है लक्ष्मी जी के संग
ब्रह्मा, विष्णु मिलकर खेले शंकर जी के संग। होली.....
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नए घर का गीत
मेरे श्याम सलोने ने, एक घर बनवाया है,
रहने के लिए उसमें, मुझको भी बुलाया है।
उनकी निगरानी में, घर का निर्माण हुआ,
इनकी कृपा से ही, पूरा अरमान हुआ।
अपने ही तरीके से, कान्हा ने सजाया है,
मेरे श्याम सलोने ने, एक घर बनवाया है।।
सबसे पहले इसमें, मेरे श्याम ने प्रवेश किया,
परिवार सहित आओ, मुझको आदेश दिया।
इस घर में रहने का, मांगे न किराया है,
मेरे श्याम सलोने ने, एक घर बनवाया है।।
इनका सेवक बनकर इस घर में रहूँगा में,
मुझको जरूरत हो, कान्हा से कहूँगा में।
इनकार नहीं करता, सदा सुनता आया है,
मेरे श्याम सलोने ने, एक घर बनवाया है।।
जिस घर में श्याम रहे, वो घर मन्दिर होता है,
जितनी भी सेवा होती, उतना सुन्दर होता है।
भक्तों का जहाँ प्रेम मिले, वहीं दौड़ के आया है,
मेरे श्याम सलोने ने, एक घर बनवाया है।।
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आरती श्री अग्रसेन जी की
ओ3म् जय अग्रसेन हरे, स्वामी जय श्री अग्र हरे।
कोटि-कोटि नत-मस्तक, सादर नमन करे।
ओ3म् जय श्री अग्र हरे।
आश्विन शुक्ल एकम् नृप बल्लभ जाये।
स्वामी बल्लभ घर आये।
अग्रवंश संस्थापक, नागवंश ब्याहे........
ओ3म् जय अग्रसेन हरे।
केसरिया ध्वज फहरे, छत्र चंवर धारी,
स्वामी छत्र चंवर धारी।
झांझ, नफीरी, नौबत बाजत सब द्वारे।......
ओ3म् जय श्री अग्र हरे।
अग्रोहा रजधानी, इन्द्र शरण आये।
प्रभु इन्द्र शरण आये।
गोत्र अठारह अब तक, तेरे गुण गाये।.....
ओ3म् जय श्री अग्र हरे।
सत्य, अहिंसा, पालक, न्याय नीति समता,
प्रभु न्याय नीति समता।
ईंट, रूपया की रीति, प्रकट करे ममता।......
ओ3म् जय श्री अग्र हरे।
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, वर सिंहनी दीन्हा,
स्वामी वर सिंहनी दीन्हा।
कुलदेवी महामाया, वैश्य कर्म कीन्हा।.......
ओ3म् जय श्री अग्र हरे।
अग्रसेन जी की आरती, जो कोई नर गाये।
स्वामी जो कोई नर गाये।
कहत 'त्रिलोक' विनय से, इच्छित फल पाये।
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