गीत बालाजी का
गीत
ससुरजी थे हो धर्म का बाप जी, थारा हस्तीड़ा सीणगारो
म्हे बाला जी न धोकस्यां
क्या की खातर बहू बोली है जात, बहू बोली है जात
क्या की खातर बाला जी नै धोकस्यां
कंवरा की खातर म्हे तो, बोली है जात बोली है जात
चुडलै री खातर बाला जी नै धोकस्यां
जेठ जी थे हो धर्म का बाप जी, म्हारा आधा धन बान्टो
म्हे बाला जी न धोकस्यां
क्या की खातर बहू बाला जी नै धोकस्यो
कँवरा री खातर म्हे तो, बोली है जात बोली है जात
चुड़लै री खातर बाला जी नै धौकस्यां
देवर म्हारा चतुर सुजान जी, थारा घोडलीया ललकारो
म्हे बाला जी ने धोकस्यां
क्या की खातर भावज बोली है जात
क्या की खातर बाला जी न धौकस्यो
चुड़ले री खातर बाला जी न धोकस्यां
मारुजी म्हारा सेजाँरा सिणगारां जी, भोली बाईजी रा बीरा
थारी मोटर जुतादो म्हे बाला नै धोकस्यां
क्या की खातर गोरी बोली है जात, गोरी बोली है जात
क्या की खातर बाला जी न धोकस्यां
कंवरा री खातर म्हे तो, बोली है जात बोली है जात
जी थारे जीवड़ारी खातर बाला जी न धोकस्यां
कहतां तो सुणतां मारूजी मोटर कदाई
म्हारै हुकमारे साटै जात पधारिया, दींनी पनामारू गठाजोड़ री जात
जी कोई रोक रुपया बाला जीरी भेट को
दिन्यो बाला जी सरब सुहाग जी
कोई गोद जडूला दोन्यो गीगलो जी
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