पारम्परिक देवी-देवताओं के लोकगीत

गीत पितरो का

गीत पितरो का-1
देवता कहाँ खुदावां थारा जोड़ला,
देवता कहाँ एं बंधावां धोली पाल, सकल देवता जाणियो।
देवता फरीदाबाद खुदावां थारा जोड़ला,
हिसार बंधावां धोली पाल, सकल देवता जाणियो।
देवता क्यांए भराऊँ थारा जोड़ला, क्यांए बधाऊँ धोली पाल,
दूध भरावां थारा जोड़ला,
दही ए बंधावां धोली पाल सकल देवता जाणियो,
देवता यो कुन जाति थारै आइयो।
देवता राधेष्याम जाति थारै आइयो,
ले अपनी मायड न साथ सकल देवता जाणियो,
देवता बलराम जाति थारा आइयो,
ले गठजोडे़ की जात सकल देवता जाणियो।
देवता गोद झडुले की जात दादी-बाबा कै साथ सकल देवता जाणियो,
देवता अड़ियों भीड़ी मै म्हारे लोड़ियो।
अडया तो समारै म्हारै काम, सकल देवता जाणियो।
पांचू तो पहरो देवता कपड़े,
हाथ लठोरी का साथ सकल देवता जाणियो।
हाथ लठोरी देवता बास की,
पहरा देवो नी दिन रात सकल देवता जाणियो।
जिन गलियों में देवता थे फिरो,
बहू-बेटे सोवैं रे नचीत सकल देवता जाणियो।

नोटः परिवार के सभी बड़ों व छोटों के नाम लिये जाएँगे।
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गीत पितरो का-2
पूरब सै पष्चिम सैे आया गांधी का,
आऐ जे उतरे, ठंडे बड़ तलै जी,
आये गांधी का बैठे गांधी का, सच्चे बाटां से तोलै किस्तूरी जी।
ऐ जी क्यांए की डाण्डी, क्यांए का तोला,
क्यांए का बाटां से तौले किस्तूरी जी।
ऐ जी सोने की डाण्डी जी यो रुपै का तोला,
सच्चे बाटां सै, तोलै किस्तूरी जी।
ऐ जी यो कुण मुलाव यो कुण तुलाव, सच्चे पितर थारे अंग चढै।
ऐ जी मुरारी लाल मुलावै जय भगवान तुलावै,
सच्चे पितर थारै अंग चढ़ै।
चैदस का न्यौता देवता मावस न आइयो जी,
आये तो उतरै ठंडे बड़ तले जी, नहाये तो धोये, पितर सिंजोया,
ऐ जी छोटी-सी तलाई में पानी हद घणा जी,
ऐ जी ओढ़या तो पहरया, पितर सिंजोया, बुगचै मैं कपड़ा हद घणा जी,
सच्चे पितर थारे अंग चढै़।
ऐ जी चरिचां तो माण्डा, पितर सिंजोया, कटोरी में केसर हद घणी जी।
ऐ जी जीमया तो जूठूया पितर सिंजोया, रसोई में खीर, हद धणी जी।
ऐ जी किस्यां रा बेटा किस्यां पोता, किस्यां मायड़ कै औदर लोटियो जी,
बाबुल जी रा बेटा जी ओ दादा जी रा पोता,
सुगनी मायड़ कै ओदर लोडियो जी।।
सच्चे पितर थारे अंग चढै़।

नोट: परिवार के सभी बड़ों व छोटों के नाम लिये जाएँगे ।
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