पारम्परिक देवी-देवताओं के लोकगीत

देवी का गीत

उच्चा री कोट सुरंग दे मेरी जाल माँ, तेरी हरियल पीपल बाहर मेरी माँ
उच्चा री पिपल रानी पडी ए पंचाली, म्हारै जै कोई झुलन आवे मेरी माँ
देवी री झुलै रानी लोकड़ियां झुलावै, म्हारै धन राजा झोटे देव मेरी माँ
पहला री झोटा रानी हार गुमाया, दूजा कान की बाली मेरी माँ
तीजा री झोटा रानी होई ए तिसाई, जै कोई पानीड़ा पिलाव मेरी माँ
कोरा री घड़वा रानी षीतल पानी, धन राजा आन पिलावै मेरी माँ
सोवो के जागो म्हारी आज भवानी, थारै धोलै गढ़ बुगले छाई मेरी माँ
तिल-तिल सोऊ रानी जोए-जोए जागु,
म्हारै धोलैगढ़ जोत संवाई मेरी माँ
गले रानी थारै सतलैड़ा सोवै, थारै ऊपर हार हजारी मेरी माँ
कान रानी थारै कुण्डल सोवै, ऊपर तोता वाली मेरी माँ
अंग रानी थार साड़ी सोवै, ऊपर चून्दड भारी मेरी माँ
हाथ रानी थारै चुड़ला सोवै, थारै मेहँदा री जोत सुवाई मेरी माँ
पैर रानी थारै पायल सोवै, थारै बिछुवा नै रुण झुण लाई मेरी माँ
सवा ए तो मण की रानी करूँ ए कढ़ाई,
थारै सोने का छत्र चढ़ाऊँ मेरी माँ
इबक तो गुनाहे बकस दे भवानी, तेरी जय-जय करती आऊँ मेरी माँ
तेरै गोद झडु़ला लाऊँ मेरी माँ, सदा ए गठ जोड़े से आऊँ मेरी माँ
more

गीत देवी रानी का

हर्या हर्या गोबर पीली पीली माटी, तो लीप चलूंगी आंगणा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
गोरे-गोरे मुखड़े पर पीली-पीली बेसर, पहरै चलूंगी बलमा
तीखे-तीखे नैणां में झीना-झीना सुरमा, तो सार चलूंगी बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
हरी-हरी साड़ी पर सुई-सुई चुनड़ी, तो ओढ़ चलूंगी बलमा
गोरी-गोरी बइयां मैं हरा-हरा चुड़ला, तो पहर चलूंगी बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
भूरी-भूरी पीण्डी में चोड़ी-चोड़ी पायल तो, पैहर चलूंगी बलमा
आगै-आगै बलमा पीछे-पीछे गोरी, तो गोद लीया ललना
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
मैया के भवन पर भीड़ हुई, तो बीछड़ गया री बलमा
सवा ए मण की मैया करूं ए कढ़ाई, तो जै घर आवै बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
सवा ए तोला गा मैया छत्तर चढ़ाऊँ, तो जै घर आवै बलमा
सवा ए गज की मैया ध्वजा ये चढ़ाऊं, तो जै घर आवै बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
मैया के भवन पर छीड़ हुई, तो आपे ही आए बलमा
पीछे मुड़ के देखण लागी, तो पास खड़े री बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
सवा ए सेरकी मैया करूँ ए कढ़ाई, तो आपे ही आए बलमा
सवा ए माषा का मैया छत्तर चढ़ाऊँ, तो आपे ही आए बलमा
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
करी ए कढ़ाई मेरा कुणबा खाई, तो भूल गई बामणां
छोरा बी खाई मेरी छोरियाँ बी खाई, तो एक पीण्डी बामणां
भवन गढ़ ले चलो जी बलमा
more