सीठने

बधावा

बधावा गाए जाने की परम्परा सभी उत्सवों पर निभाई जाती है। यह गीत किसी मंगल कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न हो जाने अथवा किसी व्यक्ति या परिवार को किसी प्रकार की विशेष मंगलकारी उपलब्ध्ाि होने पर बधाई देने के लिए गाए जाते हैं। यह गीत वस्तुतः सभी मांगलिक कार्यक्रमों के साथ गाए जाते हैं, जैसे- बच्चा होने के बाद, विवाह गीतों में, 'हल्द हाथ' होने के बाद, विवाह उत्सव के सम्पन्न होने के बाद अर्थात् कन्या की विदाई के बाद कार्यक्रम की सफलता की खुशी में या फिर घर पहुंचे दुल्हन को लेकर दूल्हे राजा की आगवानी में। कुछ विशेष बधाये यहाँ प्रस्तुत हैं:-
बधावा-1
आम तो पाके नींबू बुफण लागै
ढोला मोरुनी दोनों बातां भी लागै
थारै पिवरीयो मैं प्यारा कोण सखी री नींबू बुफन लागै
एक प्यारो म्हारै बाबुल जी लागै
दूजी म्हारी राधा देई माय सखी री नींबू बुफन लागै
एक प्यारो म्हारै वीरो जी लागै
दूजी म्हारी लाल भोजाई सखी री नींबू बुफन लागै
एक प्यारी म्हारी बहन भी लागै
दूजो म्हारे लाड़ बहनोई सखी री नींबू बुफन लागै
इन्हीं बाता से गोरी धन खारी भी लागै
देस्या तन पिवरीय खिन्दाये सखी री नींबू बुफन लागै
ढोला मारुनी दोनों बातां भी लागै
सासरिये मैं प्यारा कौन सखी री नींबू बुफन लागै
एक पियारो म्हारो सुसरा जी लागै
दूजी म्हारी सास सपुती सखी री नींबू बुफन लागै
एक प्यारो म्हारो जेठा जी लागै
दूजी लाल म्हारी जेठानी सखी री नींबू बुफन लागै
एक प्यारी म्हारी नन्दल भी लागै
दूजो म्हारो बाई जीरो वीरो, सखी री नींबू बुफन लागै
इन री बात से गोरी धन प्यारी भी लागै
देवा थानै हार घड़ाये सखी री नींबू बुफन लागै
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बधावा-2
म्हारै आँगन बाजा ओ बाजियो जी म्हारा राज
म्हारा सुसरा बडेरा चैधरी सासु जी साहेबा घर की है मेड़,
बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज
म्हारा जेठ चूड़ा हस्तीदांत का, जीठानी जी साहेबा चुढ़लै री चैच,
म्हारा देवर हस्तदांत बाजू बन्द हाथ का दोयरानी जी साहेबा चुड़ेलै री चोंच, बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज
म्हारी ननद कड़कती बिजली, ननदोई जी साहेबा सावणी या रो लौर,
साहेबा वा तो कड़क डरावै बिजली, झुक बरसे सावणीया री लौर, <
बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज
म्हारी धीयेड़ कुसुम्बल चुन्दड़ी, जमाई जी साहेबा गज मोत्यारो हार
म्हारा साहेबा सिर सवेरा, सहेवाणी जी साहेबा सेजा रो सिंगार,
बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज
मैहे तो नीत उठ सोरगै सासरे, किसरै मोसर जी साहेबा पिहर का रूख, मैहे तो नीत उठ ओढ़ा चुन्दड़ी, किसरै मोसर जी साहेबा पिलै रो भेस, बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज
मैहे तो नीत उठ रान्धा खिचड़ा
किसर मौसरै जी साहेबा जीन्दवा रो भात,
बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज, मैहे तो नीत उठ जनमा धीवड़ी
किसरै मोसर जी साहेबा अर्जुन भीम,
बधावा मैं सुणाजी म्हारा राज
धन धन ऐ सासु थारी कुख नै, जीन जनमा अर्जुन भीम,
धन-धन ये बहु तेरी जीब नै, सहराया सब परिवार,
बधावा मै सुणा जी म्हारा राज
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बधावा-3
बेबे बागां मैं तम्बू तन रहे
ओठ ख्ंिाच रही रेषम डोर ऐ सखी
आज बधावा ऋषि दयानन्द का
बेबे सेवा ए बताई सासू सुसरा की,
जिसके बेटे कै ब्याई आई ऐ सखी
आज बधावा ऋषि दयानन्द
बेबे सेवा ए बताई मां बापा की
जिस नै बीस वर्ष तक पाली ऐ सखी
बेबे सेवा ए बताई गऊ माता की
जिसकी खाई दूध मलाई ए सखी
बेबे सेवा ए बताई पति अपने की
जिसनै ओडम ओड निभाई, ए सखी...
आज बधावा ऋषि दयानन्द का
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बधावा-4
कोरी-कोरी कुलिया मैं दही ए जमाया जी राज
चढ़ते हाकीम का मैं सुन मनाया जी राज
आज की घड़ी म्हारै शुभ का बधावा जी राज
कोठी कै अन्दर नौ मन राई जी राज
चढ़ते हाकीम की मैं बाँटी बधाई जी राज
आज की घड़ी म्हारै.........
कोठी कै अन्दर नौ मन सोना जी राज
अपने हाकीम बिन सब जग सूना जी राज
कोठी के अन्दर नौ मन धनिया जी राज
अपने हाकीम बिन कौए नहीं बनिया जी राज
आज की घड़ी..........
कोठी के अन्दर नौ मन जीरा जी राज
अपने भाई बिन कोई वीरा नहीं जी राज
आज की घड़ी...............
सुला की लकड़ी मेरे हाकीम न मारी जी राज
कुछ मारी कुछ लाड़ लड़ाया जी राज
सोना की संटी मेरे देवर न मारी जी राज
देवर की मारी में तो पीहर चाली जी राज
आज की घड़ी.........
नीला सा घोड़ा मेरे हाकीम न लियो जी राज
गोरी न मना कर घर लाया जी राज
पिछली बातां सब छोड़ो जी राज
घर अपना बसाओ जी राज
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बधावा-5
पहला बधावा ससुर घर आये जी राज
ससुर घर आयो सास मन भायो जी राज
शुभ के बधाये तोय जाने ना दूंगी जी राज।
शालुरा री ओट अचल ढक राखंू जी राज।
दूजो बधयो जेठ घर, तीजो बधायो देवर घर ।
चैथा बधायो नन्देऊ घर, पांचवा बधायो बलम घर ।
सोने की अंगूठी मडक देनी टूटी जी राज।
अपने बलम से मैं कभी ना रूठी जी राज।
फूलों की संटी सटासट मारी जी राज।
कुछ मारी कुछ लाड़ लड़ायो जी राज।
खोलूँगी बूगँचा तो पहनँूगी, तीयल जी राज
खोलूँगी पिटारा तो पहनँूगी, जेवर जी राज
पहँनूगी जेवर तो पिया मन भायै जी राज
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