भजन: सावन का महीना
सावन का महीना, झुलावे चित चोर, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर।
मनवा घबराये मोरा बहे पूरवैया, झूला डाला है नीचे कदम्ब की छैयां।
कारी अंधियारी घटा है घनघोर, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर।
सखियां करे क्या जाने हमको इशारा, मन्द मन्द बहे जल यमुना की धारा।
श्री राधेजी के आगे चले ना कोई जोर, धीरे झूलो राधे, पवन करे शोर।
मेघवा तो गरजे देखो बोले कोयल कारी, पाछवा में पायल बाजे नाचे बृज की नारी।
श्री राधे परती वारो हिमरवाकी और, धीरे झूलो राधे पवन करे शोर।
सावन का महीना झूलावे चित चोर..........।।