पीलिया

पंजाबी गीत

पंजाब की अपनी विषेशता है मगर मर्दों की पसन्द का क्या भरोसा? अपनी पत्नी खम्बे की तरह लगती है। वह दूसरी पत्नी लाने के लिये विचार बनाता है। पंजाबी चटक से परिपूर्ण यही भाव इस समूहगीत में व्यक्त हुए है:-

1. मेरा तिल्लेदार दुपट्टा, लड़ फड़ के अरजां कर रहियाँ
लम्बी नार दा की सराहिए की सराहिए, ज्यूं छतन की खम्बी
अस्सी गज का घाघरा पहने, अजे वी ऐड़ी नंगी
इसको छोड़ चलेंगे शावा, दूजा ब्याह करेंगे छावा
जवानी बड़ी चीज है-शावा, छावा छाव जवानी-छावा
मैं कोई झूठ बोलियो कोई ना, मैं कोई कुफर तोलियो-कोई ना
जी कोई ना जी कोई ना, जी कोई ना
मेरा तिल्लेदार दुपट्टा
लड़ फड़ के अरज कर रहियां,
काली नार दा की सराहिए, की सराहिए, ज्यूँ मोरी दा चिक्कड़
आॅदे जांदे राही मुसाफिर, भर भर मारन छित्तर
इसको छोड़ चलेंगे शावा मैं कोई झूठ बोलीया
मधरी नार दा की सराहिए की सराहिए, ज्यू चरखे दा मुन्ना
पहिन ओढ़ के पीड़े बैठी बेहड़ा सुन्म-सुन्ना
गोरी नार दा की सराहिए की सराहिए, ज्यू मक्खन दा पेड़ा
आंदे जांदे ओनू तक्कण, मुंडियो ने पा लिया घेरा
मेरा तिल्लेदार दुपट्टा, लड़ फड़ के अरजां कर रहियाँ
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