घुघरी
घुघरी-1
सौ राजा मेरे सोऊं थी चादर तान सपने में-2
दीखी कोमरी जी महाराज
सौ राजा मेरे पीतल की टोकनी मंगाओ गेंहू की-2
रांधो कोमरी जी महाराज।
सौ राजा मेरे नाई की देओ ना बुलाय,
नगर में नगर में बांटो कोमरी जी महाराज।
सौ नाई बिटिया सारे नगर दीजो बांट,
नन्दी को नन्दी को घर छेकियो जी महाराज।
सौ राजा मेरे नाई की असल छिनार,
नन्दी कै नन्दी कै दे आई बांकली जी महाराज।
सौ राजा मेरे मरूंगी जहर-विष खाय,
मेरी उल्टी लादो कोमरी जी महाराज।
सौ राजा मेरे रख घोड़े पे जीन
बहना के घर पहुंचायो जी महाराज
सौ बहना मेरी खोलो ना अजड़ किवाड़,
शांकल तो खोलो लोहे की जी महाराज।
सौ बीरा मेरे खोलूँगी अजड़ किवाड़,
शांकल तो शांकल तो खोली लोहे की जी महाराज।
सौ वीरा मेरे किसविद् मैलो है भेस,
कैसे तो कैसे तो हो रहे उनमणै जी महाराज।
सौ बहना मेरी तेरी भाभी औछे घर की धीये,
उल्टी तो उल्टी तो मांगे कोमरी जी महाराज।
सौ बीरा मेरे आवन दे जेठ असाड़,
उल्टी तो उल्टी तो दे दूं बांकली जी महाराज।
सौ राजा मेरे सोने को टोकना मंगाओ,
मोती की मोती की देऊ कोमरी जी महाराज।
सौ राजा मेरे बजनो सो रथ जुड़वाओ,
भाभी की भाभी की दे आंऊ बांकली जी महाराज।
सौ भाभी मेरी ले आओ पीहर की परात,
उल्टी तो -उल्टी ले लो बांकली जी महाराज।
सौ भाभी मेरी जुग-जुग जीओ माई बाप,
बड़े तो बड़े घर में हम ब्याहे जी महाराज।
सौ भाभी मेरी जो होती हीने घर की नार,
कहां से कहां से देती बांकली जी महाराज।
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