माण्डे के गीत

विदाई के गीत


विदाई के इस हृदय विदारक दृष्य को देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाते हैं। करुणा का ऐसा उद्दाम प्रवाह उठता है कि कन्या से लिपट-लिपट कर रोते माँ, चाची, ताई, भाभी, बूआ, भाई और सहेलियों को छुड़ाना मुष्किल हो जाता है। किन्तु विवाह समाज का नियम ही नहीं, मानव जीवन की अनिवार्य आवष्यकता है। इसीलिये कलेजे पर पत्थर रखकर लाडो को आखिर विदा तो करना ही पड़ता है। विदाई के ऐसे कारुणिक अवसर पर डबडबाई आँखों से बेटी को विदा करते परिवार के सदस्य का चित्र इन लोक गीतों में देखें।
विदाई लड़की का दोहा 1
परीयल की ये लाडो परीयल छोड़ कहा चली
मेरे दादा ने दिया है दान, साजन घर हम चली,
मेरे ताऊ नै दिया है दान, साजन घर हम चली
परीयल की ये लाडो परीयल छोड़ कहा चली
महल तलै लाडो, डोला भी निकाल्या
चिडि़याँ दे रही आवाज, बांगो घोर ऐ लाडो
डोला भी निकल्या, कोयल शब्द सुनाऐ
पैर उघाडे बाई के, जामी जी भागे साजन डोला थाम।
परीयल की ये लाडो, परीयल छोड़ कहा चली।
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विदाई 2
दोय गुड़िया भुली हो बाबुल थारे आले मैं
म्हारी पोती खेलगी कि लाडो बेटी जाय घराँ
थारा पनघट सुना ओ बाबुल धारी धीये बिना
म्हारी बहुआ भरगी ए लाडो बेटी जाओ ऐ घराँ
थार गोबर पसरा ओ बाबुल थारी धीय बिना।
म्हारी पोती पाथगी ए लाडो बेटी जाऐ घराँ
मेरा डोला अटक्या बाबुल थारी गलियाँ
दोऐ ईंट कढ़ाऐ देवा लाड़ो बेटी जाऐ घराँ।
थारा तीजणां खाली ओ चाचा थारी धीये बिना
हमारी बहुये कातेगी ऐ लाडो बेटी, जाये घराँ
थारी रसोई सुन्नी ओ जामी थारी धीये बिना
हमारी बहुये तपगी ए लाडो बेटी जाये घराँ
मेरा गोद भतीजा रोवै और वीरा थारी बहन बिना
मेरी छोटी बहन खिलावे ए लाड़ो बाई जाए घराँ
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विदाई 3
दोय गुडि़या भुली हो बाबुल थारे आले मैं
म्हारी पोती खेलगी कि लाडो बेटी जाय घरां
थारा पनघट सुना ओ बाबुल धारी धीये बिना
म्हारी बहुआ भरगी ऐ लाडो बेटी जाओ ऐ घरां
थार गोबर पसरा ओ बाबुल थारी धीय बिना ।
म्हारी पोती पाथगी ऐ लाडो बेटी जाऐ घरां
मेरा डोला अटको बाबुल थारी गालियां मैं
दोऐ ईंट कढ़ाऐ देवा लाड़ो बेटी जाऐ घरां ।
थारा तीजणां खाली ओर चाचा थारी धीये बीना
हमारी बहुये कोतेगी ऐ लाडो बेटी, जाये घरां
थारी रसाई सुनी ओर जामी थारी धीये बीनार
हमारी बहुये तपगी ऐ लाडो बेटी जाये घरां
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