माण्डे के गीत

विदाई शिक्षा

जब विदा हो जनकपुर से जानकी जाने लगी।
सारी सखियां फूलों से वर्षा बरसाने लगी।।
माता असुवन से मुंह धोकर बेटी को समझा रही।
पर पुरूष को भूलकर न ध्यान में लाना कभी,
'राम' को पति मान बेटी, उनके चरणों में ही रहना।
जब विदा हो.........
जब भाभी असुवन से मुंह धोकर ननद को समझा रही।
सास है माता बराबर जिठानी है भाभी बराबर,
'राम' को पति जान बीबी लखन भैया है तुम्हारे।
जब विदा हो........
चाची भुवा असुवन से मुंह धोकर प्यार से समझा रही।
ए मेरी प्यारी 'कमल' सबसे मीठे बोलना,
और चतुराई से रहकर सबके मन को मोहना।
जब विदा हो.........
'विमल' असुवन से मुंह धोकर प्रेम से समझा रही।
ऐ मेरी प्यारी बहिन तुम हो बड़ी भोली-भाली,
जीजा जी हैं बड़े तेज हमारे जीजी को समझा रही।
जब विदा हो.......
सखियां अंसुवन से मुंह धोकर प्रेम से समझा रही।
ए सखी देखो कभी हमको भुलाना न तुम कहीं,
रोज नहीं तो कभी-कभी हमको भी पाती भेजना।
जब विदा हो........
more