मान्डा - 2
सुन¨ बाबाजी बाई की बिनती, सुनिय¨ मन चित लाय,
सच्चे म¨त्यां सै मांडा छाइय¨ तड़के आवैगी बारात।
हीरे म¨त्यां से मांडा छाइय¨ तड़के आवैगी बारात।
जेठ घ¨ड़ा सुसरा पालकी, देवर बग्घि कै मांय,
आप बन्ना हस्ति चढ्या, जैं पर चंवर ढुलाय।
सासू क¨ ढ¨ला आवै ढलकता, ननंदल खुशी मनाय,
दौर जिठानी र¨ झूमको, नाचै तख्त छलकाय।
सुन¨ ताऊजी बाई की बिनती, सुनिय¨ मन चित लाय,
(जामीजी, चाचाजी, फुफाजी, भाईजी, मासाजी, मामाजी)