माण्डे के गीत

माण्डे के गीत

गीत मान्डा के - 1
यो किन माण्डा रोपियो, यो किन पुरा है चैंक,
माण्डा श्रीराम का।
कृष्ण माण्डा रोपियो, राधा पुरा है चैक,
जोयड़ पुरा है चैंक माण्डा श्रीराम का।
यो किन माण्डा रोपियो, यो किन खैंचोड़ी डोर, माण्डा श्रीराम का।
अर्जुन सुन्दर माण्डा रोपियो,
विनोद खैंचोड़ी डोर, माण्डा श्रीराम का।
खुजानी सौवे ए माट में झारी री दादा जी के हाथ,
रंगीला माण्डा सीचै सै।
झारी री ताऊ के हाथ, रंगीला माण्डा सीचै।
खुजानी सोवै ए माट में।।
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मान्डा - 2
सुन¨ बाबाजी बाई की बिनती, सुनिय¨ मन चित लाय,
सच्चे म¨त्यां सै मांडा छाइय¨ तड़के आवैगी बारात।
हीरे म¨त्यां से मांडा छाइय¨ तड़के आवैगी बारात।
जेठ घ¨ड़ा सुसरा पालकी, देवर बग्घि कै मांय,
आप बन्ना हस्ति चढ्या, जैं पर चंवर ढुलाय।
सासू क¨ ढ¨ला आवै ढलकता, ननंदल खुशी मनाय,
दौर जिठानी र¨ झूमको, नाचै तख्त छलकाय।
सुन¨ ताऊजी बाई की बिनती, सुनिय¨ मन चित लाय,
(जामीजी, चाचाजी, फुफाजी, भाईजी, मासाजी, मामाजी)
मान्डा 3
काहे की तेरी चिलम झझरिया, काहे नेता झडि़याँ,
झडि़याँ लाल मंढा भाईया का।
सोने की मेरी चिलम झझरिया चाँदी नेता झडि़याँ,
झडि़याँ लाल मंढा भाईया का।
जब म्हारा देविन्द्र पीवन बैठा मुख से फुलडे झडि़याँ,
झडि़याँ लाल मंढा भाईया का।
जब म्हारा संचित पीवन बैठा मुख से फुलडे झडि़याँ,
झडि़याँ लाल मंढा भाईया का।
काहे की तेरी चिलम झझरिया, काहे नेता झडि़याँ।

विषेश: इसी प्रकार घर के सभी पुरूशों के नाम ले कर गीत पूरा कर लेते हैं।
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मान्डा 4
एक महल ऊपर बेल पसरी, सारा तो बँगला छाए लिया।
तनै भलिए करी राधे के ओ राजेष भाइयाँ में बेल बधाइयाँ।।
तनै भलिए करी दिवेन्द्र के ओ हर्श, भाइयाँ में बेल बधाइयाँ।
एक महल ऊपर बेल पसरी, सारा तो बँगला छाए लिया।

विषेश: इसी प्रकार घर के पुरुशों और उनके बेटों का नाम ले कर गीत पूरा करते हैं।
मान्डा 5
हरी कली पै तोता बोला और बोली मुरगाई जी।
इन भाईया में म्हारा ललित बोला, तरूण की बेल बधाई बेल।।
इन भाईया में म्हारा दीपक बोला, आकृश्ट की बेल बधाई बेल।
हरी कली पै तोता बोला और बोली मुरगाई जी।।

विषेश: इसी प्रकार सभी पुरूशों व उनके लड़कों के नाम ले कर गीत पूरा करते हैं।