बन्ने के गीत

घोड़ी के गीत

आज विवाह के समय न तो बलिदानी वस्त्रों और अस्त्र सशस्त्रों से सज कर जाने की परम्परा रही है और न ही विवाह पौरुष प्रदर्शन का माध्यम रहा है। लेकिन घोड़ी पर चढ़ना आज भी प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। परम्परा के अवशेष के रूप में बन्ने की कमर में कटारी या कंगन में छोटा सा चाकू डालने की रीत अभी भी आधुनिक समाज में प्रचलित है। अनादिकाल से धीरे-धीरे अस्तित्व में आए घुड़चढ़ी के ये मधुर गीत जिन्हें विवाह के अवसर पर स्त्रियाँ बड़े ही चाव से गाती हैं, आज भी बहुत प्रचलित हैं।
घोड़ी-1
तेरी घोड़ियाँ गँवाऊँ रे हरियाले बनड़े
तेरे बाबा हजारी ने मोल लई, तेरे ताऊ हजारी ने मोल लई,
घोड़ी नाचे घर के बार, कूदे समधी के द्वार,
समधी हो रहा बेहाल, समधी हो गया बेताल
साफा उड़-उड़ जाए, धोती खुल-खुल जाए,
लडडू रुढ़-रुढ़ जाए, कचैरी थुड़-थुड़ जाए,
रायता डुल-डुल जाए, पापड़ उड़-उड़ जाए
समधी जोड़े दोनों हाथ, दौड़ा समधी पे जाए
लाज रक्खो भगवान, रे षहजादे बनड़े
तेरी घोड़िया गँवाऊँ रे हरियाले बनड़े
तेरे बाबुल हजारी ने मोल लई
(सबके नाम लिए जाएँगें)
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घोड़ी-2
पीले बन्ना तेरे कपड़े, नैना सुरमा स्याही,
रूप बना रे बेटे राव का, जानूं असल सिपाही।
बांघ पकड़ बन्ना चढ़ गया, देखूं उसकी चतुराई,
नवल बन्ना घोड़ी चढ़ गया, गेलै सब भाई।
लाड्डूवां के कोठे भरे, जीमो सब भाई,
पानी की झारी भरी, पियो सब भाई,
दमड़े के थैले भरे, खरचो सब भाई।
घोड़ी-3
सज गया, सज गया, सज गया बन्ना, घोड़ी का मुँह मोड़ दो,
चढ़ गया, चढ़ गया, चढ़ गया बन्ना, बन्ने चाबुक संभाल लो,
बन्ने के बाबा से कह दो, ए जी थैली का मुंह खोल दो।
बन्ने की दादी से कह दो, ए जी अब कंजूसी छोड़ दो।
बन्ने के ताऊ से कह दो, ए जी थैली का मुंह खोल दो।
बन्ने की ताई से कह दो, ए जी अब कंजूसी छोड़ दो।
सज गया, सज गया ........
(बापू-अम्मा, चाचा-चाची, फुफा-बुआ, भाई-भाभी, नाना-नानी, मामा-मामी)
घोड़ी-4
देखो जी दिलदार घोड़ी क्या मजे से आती है
आती है और जाती है सौ साठ लपेटे खाती है
शीश बन्ने के सेहरा सोवे, लड़िया से इतर लगाती है
कान बन्ने के मोती सोवे, लड़िया से इतर लगाती है
देखो जी दिलदार घोड़ी क्या मजे से आती है
आती है और जाती है सौ साठ लपेटे खाती है।
घोड़ी-5
दादाजी का प्यारा बन्ना, दूल्हा बन गया,
सज धज के घोड़ी पे, सवार हो गया।
चलो जी बाराती, ससुराल की गली,
फूल माला लिए बन्नी, हाथों में खड़ी।
बारात ले के आओ बन्ना, दाज ले के जाओ,
नवल बन्नी को बन्ना, साथ ले के जाओ।
ताऊजी का प्यारा बन्ना, ...........
(जामीजी, चाचाजी, फुफाजी, भाईजी, मौसाजी, मामाजी)
घोड़ी-6
मालन बेलवा उठा ले या घोड़ी नाचेगी
घोड़ी तो या नाच अपनै बाबा के दरबार मै
दादी रानी ने बुला ले या गिन्नी वारेगी
ताई रानी ने बुला ले या सच्चे वारेगी
मालन बेलवा उठा ले या घोड़ी नाचेगी
(पापा-अम्मा, चाचा-चाची, भाई-भाभी)
घोड़ी-7
घोड़ी अम्बाले से आई, जिस पर चढ़ा न उतरा जाए
भर गोदी बने के दादा चढ़ावे, बना उछल-कूद रह जाए
भर गोदी बने की दादी चढ़ावे, बना उछल-कूद चढ़ जाए
भर गोदी बने के ताऊ चढ़ावे, बना उछल-कूद रह जाए
भर गोदी बने के ताई चढ़ावे, बना उछल-कूद चढ़ जाए
घोड़ी अम्बाले से आई, जिस पर उतरा चढ़ा ना जाए
घोड़ी-8
चंचल घोड़ी चाँदनी मथुरा सै आई,
लो मेरे बाबा मोल लो, थारी होवै बड़ाई।
कै लख घोड़ी का मोल है, कै लख में चुकाई,
नौ लख घोड़ी का मोल है, दस लख में चुकाई।
पैरों में घुँघरू बाजने, देखैं लोग-लुगाई,
ऐड़ लगा बन्ना चढ़ गया, पीछे सब भाई,
टप-टप घोड़ी चल पड़ी, समधी कै आई।
चंचल घोड़ी चाँदनी.......
(ताऊ, जामी, चाचा, फुफा, भाई, मौसा, मामा)
घोड़ी-9
ऐसी सुन्दर श्याम घोड़ी क्युँ खड़ी दरबार में
किसने बुलाई किसने सजाई किसके कारण आई है
बाबा बुलाई दादी सजाई बन्ने के कारण आई है
खाने को ले दूँ खस्ता कचैरी पीने को शर्बत तैयार है
ऐसी सुन्दर श्याम घोड़ी क्यँु खड़ी दरबार में
चढ़ने को ले दँू छोटा सा बन्ना वो भी बड़ा हुशियार है
घोड़ी-10
घोड़ी आई रे, बाजार में बना, बाबा देख-देख जाए
घोड़ी के गल घुँघरू बना, ताऊ देख-देख जाए
घोड़ी के गल घुँघरू बना
ताई तेरी चायली बना, दादी तेरी चायली बना
मोती बार-बार जाए घोड़ी के गल घुघ्ँारू बना
हीरे बार-बार जाए घोड़ी के गल घुँघरू बना
घोड़ी-11
घोड़ी लाई जाए या कार लाई जाए
बोल हरियाले क्या सवारी लाई जाए
तेरे बाबा ने घोड़ी मंगाई, दादी रानी ने खूब सजाई
जरा बैठ तो सही ओ जरा देख तो सही-घोड़ी आई
तेरे ताऊ ने घोड़ी मंगाई, ताई रानी ने खूब सजाई
जरा बैठ तो सही ओ जरा देख तो सही - घोड़ी लाई.
नोट: ऐसे ही सभी रिश्तों का नाम लेके गाए।