रतिजगा सवेरे के गीत

कुकडा

कुकडा सवेरे रतिजगे का गीत-1
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे देवर का पाला कुकड़ा,
देस दिवानी कुकड़ा, चतुराई से बोला कुकड़ा
गुमराई से बोला कुकड़ा अरे, कुकड़ा बोल फेर बोल कुकडूँ कूँ...
अरे कुकड़ा मोत्या का आखां चुगा दूं तै म्हारै चुगवां न आ।
राधा थारा आगंण खुरदरा, म्हारी चुगदाँ की घीसै चांचड़ी,
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे लक्ष्मण का पाला कुकड़ा कुकडूँ कूँ..
सगा सोई सुणैगा कुकड़ा, अड़ोसी-पड़ोसी सुणैगा कुकड़ा,
सबेरे देवगे ओलमा, अरे कुकड़ा आगंण कांच ढुलाये दूँ।
सोना चोंच मढ़ाए दूँ, म्हारै चुगवाँ न आ,
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे लक्ष्मण का पाला कुकड़ा कुकडूँ कूँ..
राधा तेरी ये ननदल अचपली, म्हारी चुगदाँ की पाडै पांखड़ी,
राधा तेरा ये देवर अचपला, म्हारै चुगदाँ कै मारै कांकरी।
अरे कुकड़ा नंनदल नै देऊ मुकलाए,
देवर न घालु चाकरी, म्हारे चुगवाँ नै आ।
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे लक्ष्मण का पाला कुकड़ा कुकडूँ कूँ..
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कुकड़ा का गीत (चकचुन्दड़ी)-2
चक चुन्दड़ी लाऊ रामकुमार थारौ डी आखा कै
थे तो ले जायड नै सोये रहे सुख पाये रहे
हम तो रातु रात जगाईयां-2
रात जगाई महा सुख पाई, लापसडी गट काईया ।।
गीत गुगा जी का
गुगा जी थारा घोडा कोई चरै गठीली घास, गुगा रूनझुनिया।
गुगा जी थारी, कुल-बहु कोई रान्धै उजली खीर, गुगा रूनझुनिया।
गुगा जी थारी छोरड़ी, कोई गावै गुगा का गीत, गुगा रूनझुनिया
गुगा जी थारे छरडे़, कोई आवै गुगै की जात, गुगा रूनझुनिया
चढै़ न चढ़ावै चुरमा, कोई चढै़ सिर च¨टी नारियल, गुगा रूनझुनिया
रतिजगा की नीद
सवा-सवा लाखां का पेचा, अ¨ जानी शीश थारै,
किलंगी पर मन मेरा ह¨ सुरानी ढ¨ला नींद मैं,
क्यूं जगाई अ¨ सासुजी का जाया नींद मैं,
क्यूं जगाई अ¨ बाईजी का बीरा नींद मैं,
जद जगावां जद, नींद बताअ¨ ए ग¨री,
जागण की रुत क¨णसी, मंगेजन ग¨री नींद मैं,
सुती रह¨ ऐ, भाईयां की प्यारी नींद मैं,
सुती रह¨ ऐ, नखराली ग¨री नींद मैं,
सवा-सवा लाखां की कलंगी, औ जानी शीश थारै
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सवेरे का गीत
सवेरे की बरिया ओ देवी देवतो जागो न
आप जागो सो जागो टावर न जगावो न
सोने की झारी ले मुख धोओ न
नीम की दांतन तो दांत प्खा लो न
थाली मै सुहाली के भोजन जिमो न
सवेरे की बरिया औ मुरारी लाल जागो न
सवेरे की बरिया औ सुभाष जागो न
आप जागो सो जागो न टावर जगाओ न
सोने की झारी ले मुख धोओ न
नीम की दांतन तो दांत प्खा लो न
थाली मै सुहाली के भोजन जीमो न
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