कुकडा
कुकडा सवेरे रतिजगे का गीत-1
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे देवर का पाला कुकड़ा,
देस दिवानी कुकड़ा, चतुराई से बोला कुकड़ा
गुमराई से बोला कुकड़ा अरे, कुकड़ा बोल फेर बोल कुकडूँ कूँ...
अरे कुकड़ा मोत्या का आखां चुगा दूं तै म्हारै चुगवां न आ।
राधा थारा आगंण खुरदरा, म्हारी चुगदाँ की घीसै चांचड़ी,
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे लक्ष्मण का पाला कुकड़ा कुकडूँ कूँ..
सगा सोई सुणैगा कुकड़ा, अड़ोसी-पड़ोसी सुणैगा कुकड़ा,
सबेरे देवगे ओलमा, अरे कुकड़ा आगंण कांच ढुलाये दूँ।
सोना चोंच मढ़ाए दूँ, म्हारै चुगवाँ न आ,
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे लक्ष्मण का पाला कुकड़ा कुकडूँ कूँ..
राधा तेरी ये ननदल अचपली, म्हारी चुगदाँ की पाडै पांखड़ी,
राधा तेरा ये देवर अचपला, म्हारै चुगदाँ कै मारै कांकरी।
अरे कुकड़ा नंनदल नै देऊ मुकलाए,
देवर न घालु चाकरी, म्हारे चुगवाँ नै आ।
राजा रामचन्द्र का कुकड़ा, छोटे लक्ष्मण का पाला कुकड़ा कुकडूँ कूँ..
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