रतिजगा सवेरे के गीत

सवेरे गाने की दांतन

स्वेरे गाने वाली दातंन-1
राम जी पोफाटी होया प्रभात, माता यषोदा जी दांतन मांगीए
राम जी मांगी है दोय-चार बार
रानी रूकमण न सुण ए न सापडे
राम जी बाहर स आया नन्द जी का लाल
माता जसोदा जी क्यु कर उणमनी, बेटा थारै घर नार कुनार
कहयो ए न मान म्हारो तिल भर भी
माता ए म्हारी उठो थे दांतनीयो मोड़, थारै दांतन कीबेला अब हुई
बेटा रै दांतन थारी रूकमण न कराए
म्हारै दांतन की बेरां टल गई
माता ए कहो तो देवा ए बीडार, कहो तो भेजा रूकमण नै बाप कै
बेटा क्यानै तो देवो रै बिडार क्यानै भेजो घण न बाप कै
राम जी काला सा बडदा बैल जुडाये, ऊपर तानी काली कामली
राम जी लिछमण सा देवर दीनां साथ बन मै भिजवाई रूकमण एकली
राम जी कौन मेरे माई यर बाप, किस कै भरोसे छोड़ी अकली
रूकमण बड़ पीपल माई यर बाप, इनके भरोस छोडी ऐकली
रूकमण तोडयो है अड बड़ पान तोड बिछायो जी सनको सांथरो,
रूकमण जाया है लाडन पुत घुन्टी तो देवन वालो कुल में कोई नही
राम जी उडरै म्हारे हरी ऐ बन का काग
जाय बोलो कृश्ण हर की कोठाडिया
राम जी माता यसोदा जी घाल्यो बिलोवणा
जाय फरूक्यो हरी ऐ बनको कागलो ।
बेटा रे एक बार बाहर तो आवो, केर बौले हरिये बन का कागला
माता रूकमण जायो है लाडन पुत
घुन्टी तो देवन वालो कुल में कोई नही
कागा रे सोने मै मंढाऊं तेरी चोच, रूप मे मंढ़ाऊँ तेरो पींजरो
माता म्हारी किस बिन पडी ऐ उजाड़ किस बिना आगॅन भीन भीना
बेटा एक हाथ ले लो गुन्द अजवान
एक हाथ ले लो जी घी की झाकरी
राम जी पीलासा बडदा बैल जुपाये, ऊपर तानी पीली कामली
रूकमण यो ल्यो गुन्द अजमान, यो ल्यो घी की झाकरी
राम जी नदी ऐ बुहावो गुन्द अजवान, बडदा न प्याओ घी झाकरी
रूकमण डब डब भर आया नैण आसूं तो गेरया हरिए मोर ज्यों
राम जी लीनी है हिवड से लगाय, आसूं तो पुछा ए पीलै पेचै से,
रूकमण ईतनी तो बेदल मत होए मनडा तो राख्या अपनी माय का
राम जी धोला सा बड़दा बैल जुताए, ऊपर तानी धोली कामली
राम जी छोटो सो गीगो लीन्या साथ
बैल मैं बिठाई रूकमण लाडली
माता म्हारी एक बर बाहर आओ, पगां ए पड़गी थारी कुल बहु
बेटा रे जुग जीवों नन्द जी का लाल
पंगा ए पड़गी आपकी माय क
माता म्हारी अबड़ासा बोलो न बोल, पंगा ए ना पड़ै धीय माय क
राम जी ज कोई हर जी की दांतन, गावै वो वैकन्ठा पायसी
राम जी म्हे पावाँ बैकुण्ठा को बास, सुणै जीसका पातक झडैपडै
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गीत रतिजगा की दान्तन-2
माता उठो ऐ करो नी स्नान, दान्तन ल्या काचै केलै की
बेटा रे दान्तन रुकमण न देयो, म्हारी तो दान्तन बेला ऊंक गई
माता ये कीन थानै बोलया है बोल, किन थानै दिया जाजम ओलमा
बेटा रुक्मण म्हानै बोल्या है बोल, रुकमण दिया जाजम ओलमा
माँ मेरी कहो तो देवा ऐ बिड़ार, कहो तो भेजा नै बाप कै
बेटा क्यानै तो देवो रै बिड़ार, क्यानै तो भेजो नै बाप कै।
बेटा या जन्म भी पूत, बंस बंधाव थारै बाप का बेटा का
बेटा या जन्म गी धीये, रतन जमाई प्यारा पावंना
बेटा मनडै सै देवो नी बिडार, मनडे बिन रुक्मण भिनभिनी
रुक्मण उठो ए करो नी स्नान, बिरद उपाई थरै बाप कै
हरजी झूठा ओ झूठ मत बोले, सावण मास किसी बीरदड़ी
रुक्मण उठो ए करो नी स्नान, बेटा तो जाया माई जाया बीर कै
हरजी अबकै तो बोल्या है साच, आषा तो कइये बडी भुजाई नै
हरजी गये गये कोस पचास, डेरा तो डाला ठण्डे बड़ तले
हरजी कठै मेरे मांई बाप, कठै मेरे पिहर के रुख,
किसके भरोसे रुक्मण एकली
रुक्मण बड़ थारै मांई बाप बड़ थारै पिहर के रूख,
बड़ कै भरोसे रुक्मण एकली
हरजी साचम सांच बताये, कद घर आओ प्यारा पावना
रुक्मण भादो में बौले है मोर, और कड़कै बिजली।
रुक्मण आसोज पितर जिमाये, कातिक मै कातिक नहाइयों
रुक्मण बिते बारह मास, जद घर आवै हरजी पावणां
हर जी उठे है आधी सी रात, दिन उगाया अपण देस में
माँ मेरी साचम साच बताए,
क्या बिना घोर अँधेर क्या बिना आंगन भिनभिना,
बेटा ओ बहुआ बिना घोर अँधेर पोता बिना आंगन भिनभिना,
माँ मेरी रुण-झुण बैल जुड़ाय सवेरे तो जाऊँ सोरंग सासरै,
बेटा रुण-झुण बैल बँधे हैं घर के बाहर इब जाइयो सौरंग सासरै,
हरजी उठे है आधी सी रात दिन ऊगाय सोरंग सासरै,
रुक्मण दूध तो धोओ हर के पैर चन्दन चैकी हर न बैठना,
रुक्मण रान्धो नी जीन्दवां रा भात कैर करैले हर न सब तलो,
रुक्मण हरे ए मुंगा धोई दाल फुल्का तो पोइयो हर न रीमझीमा,
हर जी रुक्मण परोसै थाल हँस हँस देवै हर जी नै ओलमा,
हर जी वे दिन करलो नी याद मात यषोदा नै दान्तन ना लेई,
रुक्मण थारी म्हारी अबछल बात मन तो राख्या यषोदा माए का,
हर जी रुण-झुण बैल जुड़ाये दिन उगाया अपने देस में
माँ मेरी खोलो नी अजड़ किवाड़ सांकल खोलो ए लोहे साल की,
बेटा खुले हैं अजड़ किवाड़ खुली है सांकल लोहे साल की,
माँ मेरी ऊपर से नीचे ऊतरियो पगा ए पड़गी थारी कुल बहु,
बेटा मेरपा तो उतरा ना जाये पगा ये पड़गी आपकी माय कै,
माँ मेरी ऐसे बोल न बोल माँ कै धीये पगा ना पडै़,
माँ मेरी या है सात भाइयां की बहन तेरा तो जग में कान्हा एकला,
बेटा वारी तो जावै सात भाइयों की बहन कान्हा न करियो जग मैं चांदना।
दान्तन ल्या काचै केलै की।
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